Saturday, January 2, 2010

zindagi

एक पल में यु कैसे बदल जाती है ज़िन्दगी
गिरती है रूकती है और संभल जाती है ज़िन्दगी

नए साल के आने की कितने ख़ुशी मानते है हम
पर सोचो तो यु पल पल जाती है ज़िन्दगी

कोई बात नहीं कल आयेगा फिर हमारा
इतने में ही बेचारी बहल जाती है ज़िन्दगी

रुकने का नाम नहीं है ज़िन्दगी सुन ले
और ये सुनते ही फिर चल जाती है ज़िन्दगी

ख्वाब से कितने बुनते रह जाते है हम
और ये हाथ से निकल जाती है ज़िन्दगी

©२०१०दीप्ती


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