Monday, December 28, 2009

बचपन

एक दिन जो खोली बचपन की किताब, हर लम्हा सुनहरा था,
अनजान हर रोक टोक से, वो दरिया यु बह रहा था |

वो मस्त रंगीले हवादार गुब्बारे ,
मौजूद गलियों में हम शाम से सारे
हर पल में हर रंग, जीवन भर रहा था
अनजान हर रो टोक से...........

बेख़ौफ़ बेपरवाह और बेखबर
अच्छे और बुरे से थे बेशक मगर
हर पल में थी ख़ुशी, हर पन्ना कह रहा था
अनजान हर रोक टोक से...................

उन चाँद और तारो के सपने सजीले
और तितली पकड़ने के ख्वाब रंगीले
गुम एसी यादो में, वो बचपन हस रहा था
अनजान हर रोक टोक से...................
दीप्ती©2009

Tuesday, November 24, 2009

dil se

ज़िन्दगी को करीब से देख कर अच्छा लगता है,
आप का हर एक लफ्ज़ सच्चा लगता है
कर चुके है तय सफ़र बहुत कुछ मगर
ये दिल हमे आज भी बच्चा लगता है|

रोज होते है रूबरू नयी कश-म-कश से हम
है तजुर्बा वो भी हमे कच्चा लगता है |

रात हो चली हो राह में फिर भी मगर,
ये आपका साया भी धूप सा लगता है|

है शिकायत कि बाटते नहीं गम हम कभी
क्या करे रोना भी हमे न अच्छा लगता है|

Wednesday, September 16, 2009

यूँही

ज़िन्दगी के इस मोड़ पर अब दास्ताँ क्या कहे
ये मंज़र देख कर हम हो गए बेजुबान, क्या कहे
कभी बातो से कभी खामोशी से आप समझ गए होंगे
चुप रहे यु ही हमेशा कि बेवजह, क्या कहे

तसव्वुर में आपके यु खोये रहते थे हम
कब शाम सा होता था, आसमान क्या कहे

ज़िन्दगी के आखिरी पल तक आपका साथ हो
मेरे खुदा अब तुमसे हम, और दुआ क्या कहे

अपनी चाहत पर भरोसा और दिल में प्यार रखना
सदा खुश रहने का अब, फलसफा क्या कहे

दीप्ती©2009

Friday, September 11, 2009

दोस्ती

बचपन से अब तक हर किस्से की गवाह दोस्ती
हर मोड़ पर हमको मिली बेपनाह दोस्ती
आंसू से हँसी तक सदा साथ साथ है
ऐसी है हर दोस्त की हमराह दोस्ती

अकेले से हो जाते थे हम तब दोस्तों
होती थी हमसे जों ये खफा दोस्ती

तुम से ही तो हर दर्द हर राज़ बांटा है
तू ही तो रही हमारी मैकदा दोस्ती

खूबसूरत तुझसे ज़िन्दगी का हर पड़ाव है
बहुत महफूज़ है तेरी पनाह दोस्ती

तू रही है रहनुमा ज़िन्दगी की हर राह पर
तेरे रहते न होंगे कभी गुमराह दोस्ती

तू साथ है तो हर तूफ़ान पार कर लेंगे
फ़िर कश्ती की भी न है परवाह दोस्ती

दीप्ती ©2009

Thursday, September 10, 2009

नई रचना

आज एक बिल्कुल ताजी रचना यहाँ पोस्ट कर रही हु जो इसी वक्त ब्लॉग पर लिख रही हु आशा कीजिये अच्छी हो

एक तमन्ना है इन पंछियों से बात करने की
एक आरजू है इस जीवन में तितलियों के रंग भरने की
ख्वाब है की हमको भी पंख लग जाए
एक जुस्तजू है इस असमान को पार करने की

कभी इस चाँद से कभी सितारों से जलते है हम
एक गुजारिश है कुछ जिंदगियों में रौशनी करने की

चाहत है इन नदियों का रुख मोड़ दे हम कभी
एक कसक है सूखे दरख्त को तर करने की

ऐ बादल न तरसाया कर उन आँखों को युही
एक दुआ है तेरे बस झूम कर बरसने की

ऐ खुदा कुछ सवाल दिमाग में है अजीब से
एक इछा है तुमसे बाते दो चार करने की

दीप्ती©2009

Thursday, September 3, 2009

नीर नारी

एक और कविता आज पोस्ट कर रही हूँ , खुदा की दो बहुत ही खास रचना की तुलना करने की कोशिश की है आशा है आपको पसंद आयेगी

नीर नारी
तुझ बिन जीवन का अंश नहीं
तुझ बिन मानुष का वंश नहीं
सारा जग तेरा आभारी
तू नीर है तू नारी

राह मे आये चाहे जितने भी रोडे
तू अपने साहस से हर मुश्किल को तोडे
शक्ति तुझमे है सारी
तू नीर है तू नारी

तुझमे सब मिल जाते है
तृप्त सब तुजसे हो जाते है
हो सम्मान के अधिकारी
तू नीर है तू नारी

तुम अविरल बहते रहते हो
तुम धैर्य बांधे रहते हो
हर तरह तुम अविकारी
तू नीर है तू नारी

दीप्ती©2009

गम

मेरे प्रिय ब्लॉग मित्रो आज बहुत दिनों के बाद मैं अपने ब्लॉग की सुध ले पाई हूँ उसके लिए अवश्य ही खेद है आज जो रचना मैं पोस्ट कर रही हूँ वो एक करीबी दोस्त के लिए है आशा है उसे पसंद आयेगी और आप को भी

जब जब गमो के बादल ज़िन्दगी पे छा जाते है
वो इन दो आँखों से बरस के गिर जाते है

बह जाने दो इन अश्को को, ग़मों को दूर जो करते है
ग़मी में ही रहते है जो इन्हें बचने का कसूर करते

गमो से भरा दिल रोने से हल्का हो जाता है
और ये गम मेरे दोस्त बस कलका हो जाता है

खुदा की इनायत हमपे ये हमारे अश्क है
पत्थर हो जाते है वो आँखे जो रहती खुश्क है

और हंसते है वही यहाँ जो रो भी सकते है
वो ही यहाँ पाते है कुछ जो खो भी सकते है
दीप्ती©2009

Saturday, July 25, 2009

प्रिय दोस्तों आज फिर मैं ज़िन्दगी पर कुछ लिख रही हूँ ज़रा गौर करे शायद आपको भी मंजिले नज़र आने लगे

ज़िन्दगी की राह में कई मुश्किलें है
रास्ते सब साफ़ से हमे कब मिले है
हर रोज़ एक नयी कश-म-कश है
गौर से देखो इन्ही में मंजिले है

ख्वाब में गुम से तुम ही तो नही
चल पड़े है साथ में कई काफिलें

राह में कांटो से तुम डर ना जाना
कांटो में ही तो कई गुल खिले है

आपनी ज़िन्दगी को तो सबने रोशन किया
बहुत है लोग जो औरो के लिए जले है

©२००९ dipti

Friday, July 17, 2009

नमस्कार दोस्तों बहुत दिनों बाद आज एक नयी कविता पोस्ट कर रही हु जी मुझे मेरे पुराने नोट्स खोजते हुए मिली है

ज़िन्दगी के कितने रास्ते वीराने होते है
जहाँ भी देखो वहां सिर्फ बेगाने होते है
गम तो ये है की बनके, दोस्त वो आते है
कमबख्त बेवफा भी, वफ़ा के बहाने होते है

हर रोज़ डूबी होती है शराब में कितनी ही जिंदगियां,
जाने कितने टूटे हुए साकी, तेरे पैमाने होते है

बस नाम ही सुनते है हीर राँझा ओ शिरी फरहाद,
ऐसी मिसालों को देखे, अब ज़माने होते है

सदा लेने का ही नाम तो ज़िन्दगी नहीं यारो,
कितने है क़र्ज़ हमपे, जो हमे चुकाने होते है
©2009 दीप्ती

Thursday, July 2, 2009

संग्रह

मेरे प्रिय ब्लॉग मित्रो अभी कुछ दिनों तक मैं अपने संग्रह की कुछ प्रिय प्रतियाँ ही पोस्ट करती रहूंगी आशा है आप सभी को पसंद आएँगी

कितने चेहरे है आसपास मेरे, रोज़ आते है निकल जाते है
तुम ही आँखों में मेरी रहते हो, हम कंहा उनको देख पाते है

अब तो लगता है की तेरे बिना, ना जीना होगा मेरा कहीं
नींद नहीं आती है रातो को, और आती है तो ख्वाब तेरे आते है

रुसवा रहती हूँ मैं खुदा से, दिल मुझको मनाया करता है
एसी भी क्या तकदीर मेरी, क्यों तुमसे नहीं मिल पाते है

जाने किसका साथ लिखा है, खुदा ने मुकद्दर में मेरे
जब सोचे इस बारे में, तो ख्याल तेरे ही आते है
©२००९ दीप्ती

संग्रह

मेरे प्रिय ब्लॉग मित्रो बहुत व्यस्तता के चलते आजकल मैं ब्लोग कम लिख पा रही हूँ मैंने अपने कॉलेज दिनों में अपने लिए, अपने अपनों के लिए और अपनों की तरफ से उनके अपनों के लिए बहुत कुछ लिखा था आज उसी संग्रह में से कुछ लिख रही हूँ


हम इन्तेज़ार करते रहे तेरे लफ्जो का

तुम आखिरी पल तक खामोश नज़र आए

मुझे दामन में सिर्फ कांटे ही मिले

यूँ तो फूल के मौसम हर बरस आए


कोशिशो में वक़्त जाया किया मैंने

ये दर्द-ए-ख्याल हर पहर आए

रोज़ करते रहे सजदा खुदा के सामने

कभी तो मेरे अश्को पे उसे तरस आये


हम तूफानों से लड़ते रहे सदा

तेरे जाने के बाद ये दिल-ए-कहर आए

कितना हमने तुम्हे बताना चाहा

मजाल है कोई तुमपे असर आये

©२००९ दीप्ती

Monday, June 29, 2009

मेरे प्रिय ब्लॉग पड़ने वाले मित्रो, आज मैं कुछ पंक्तिया उस नजराने के बारे में लिख रही हु जो इश्वर ने हम सबको दिया है, आप सब की ओर से समीक्षा चाहूंगी।


मुस्कराहट

इसके बिना हर चेहरे की खूबसूरती अधूरी है

कहते है ये हो तो , प्यार की मंजूरी है


'उनकी' बात आते ही ये चेहरे पर छा जाती है

हो ख़ुशी की बात तो झट होटों पर आ जाती है

ये साथ हो तो अपनी मुलाकाते पूरी है

कही ये मुख पर सजाना लोगो की मजबूरी है

आँखे गर इनका साथ दे तो क़यामत होती है

ये गायब हो जाती है, जब जब आँखे रोती है

इसके बिना तो अपनी, ज़िन्दगी आफत होगी

जीतेगा वही जिसके पास ये 'मुस्कराहट' होगी


©2009 दीप्ती

Friday, June 26, 2009

सबा के साथ

प्रिय दोस्तों
आज बहुत दिनों बाद मै हाजिर हु एक नयी कविता लेकर, नाम है:

हर रोज़ सबा के साथ

ख़त्म करती है अपना सफ़र, जब जब भी ये रात,
एक नया पल आता है हर रोज़ सबा के साथ

रवि उदय होता है अपने, केसर रूप के संग
तबस्सुम भी हो जाती उसके रंग में रंग
सबको मन चाहा रंग देती लिए किरण रंग सात
एक नया पल आता है हर रोज़ सबा के साथ

पंछियों के कलरव से, सारा जग है जागे
पंख पसारे ये गगन में, इधर उधर है भागे
पीहू पीहू कु कु करते, जाने क्या करते बात
एक नया पल आता है हर रोज़ सबा के साथ

हवाए ठंडी ठंडी, मन को शीतल करती
माना अब शीतलता, होती सूरज के संग भी
सब को सुखमय करती, बिना विचारे जात
एक नया पल आता है हर रोज़ सबा के साथ
©२००९ दीप्ती

Wednesday, June 17, 2009

wait

प्रिया मित्रो
कैसे है आप लोग?
अभी थोड़ा सा इंतज़ार करे जल्द ही एक ताज़ा तरीन कविता लेकर आती हु
तब तक के लिए
शुभ रात्रि शब्बा खैर
अपना ख्याल रखिये

Monday, June 15, 2009

मोहब्बत

प्रिया मित्रो
कैसे है आप सब? जब आप सब लोगो की कमेंट्स देखती हु तो बहुत अच्छा लगता है की आप लोग ब्लॉग पढ़ रहे है। आज इसी क्रम में प्रस्तुत है एक कविता मोहब्बत पर:

खामोश निगाहों से कैसे, बाते कर ली जाती है
चेहरे से कैसे दिल की, हालत पढ़ ली जाती है
सारे सपने लेकर अपनी, दोनों आँखों में भर लो,
हाँ तुम भी जान जाओगे एक बार मोहब्बत कर लो

भूख तो लगती नहीं, नींदे भी उड़ जाती है
ठंडी फिजायें मनो, दिल में कुछ कर जाती है
बंद करके पलके, उसको बाहों में भर लो
हाँ तुम भी जान जाओगे एक बार मोहब्बत कर लो

दिन कही कटते नहीं, सूनी राते हो जाती है
आँखों में नमी सी, जब तब आती जाती है
अपने दोनों हाथो को, उसके हाथो में धर लो
हाँ तुम भी जान जाओगे एक बार मोहब्बत कर लो

बिना किसी काम के, सबसे मसरूफ है रहते
कुछ सुनाई देता नहीं, जाने किस दुनिया में रहते
दिल की बात कभी तुम, अपनी जुबां से कर लो
हाँ तुम भी जान जाओगे एक बार मोहब्बत कर लो

©2009 दीप्ती

Sunday, June 14, 2009

प्रिय मित्रो आप की होंसला-ए-अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया आज फिर मैं हाजिर हूँ अपनी एक नयी कविता के साथ, ये कविता मैंने उसपे लिखी है जिसे शब्दों में बांधा नहीं जा सकता : ईश्वर पर

ईश्वर
तुम आस हो, तुम ईश हो,
वरदान हो आशीष हो
हर पल मेरे तुम संग मेरे,
तुम ही तो मामीश हो

न मूरत में, न तस्वीरो में,
न मस्जिदों में, न मंदिरों में
तुम तो रहते अंतर्मन में,
क्या राजा में क्या फकीरों में

तुम ज्ञान का एक दीप हो,
तुम सबसे मेरे समीप हो
मेरे मन के तमस को दूर करते,
ऐसे ही तुम देदीप्य हो

सब तेरे ही अंश है,
चाहे कृष्ण है या कंस है
मेरी आत्मा है तुझसे बनी,
मै तेरा अंश हु तू मामंश हैं
©2009 दीप्ती

dosti

dear friends a very good afternoon to you all. so enjoying sunday?
The slow sunday also delayed my post today. well my dear friends its all your love for me which insist me to write this post, that is all about friendship. so enjoy.......
have a nice day

दोस्ती

कभी दोस्ती पे , कभी दोस्त पे कुर्बान होते है
ये दोस्त ही तो हमारी ज़िन्दगी की जान होते है

बहुत से हंसते खिलखिलाते, लम्हे है इनके नाम,
इन्ही से तो ज़िन्दगी के रास्ते आसान होते है

हमारे गम में होते है, बराबर के शरीक ये,
इनके ही तो सहारे पार गमो के तूफ़ान होते है

वो रात भर बाते, वो दिन भर शरारते करना ,
दिल की दस्तक पे ये किस्से तमाम होते है

इनके साथ ही होती है महफिले रोशन,
वरना मुस्कराहट के फूल भी बेजान होते है
©2009 दीप्ती

Friday, June 12, 2009

aankhe

my dear friends
thanks for reading my blog, you know it is so exciting and encouraging. So today there is some lines on eyes आँखे

आँखे

आँखों से ही हंस लो तुम, आँखों से ही रोलो,
यें सब कुछ कह देती है चाहे तुम न बोलों

कोई अच्छा लगता है तो पीछे पीछे भागे,
उनकी यादों में यें ही रतिया रतिया जागे

यें डगाबाज ही तो इज़हार कर देती है,
उनकी आँखों से यें ही सारी बातें कर लेती है

कभी जो दर्द हुआ अपने दिल में कोई,
यें ही तो बेचारी रात रात भर रोई

गर रखे है कई गम तुमने अपने सीने में,
इसको भी गुमान नही अपने आंसू पीने में

इंतज़ार में सदा इसको रहती बेताबी है ,
तकते रहना राहे, इसकी एक खराबी है

गम यदि चाहे आप होटों से छुपाना,

इसकी एक बुरी आदत है यु सबको बताना

keep sending comments and you can request any subject on which you want me to write.

Thursday, June 11, 2009

कुदरत

सुबह भी अनमोल हैं, रात भी अनमोल,
सूरज भी अनमोल हैं, चाँद भी अनमोल|
सारे रंग ,सारे रूप हैं निराले,
इस कुदरत की सब बात है अनमोल ||

उगते सूरज की लाली हों, या चाँद की चांदनी,
हर रूप हैं उज्जवल, हर रूप मोहिनी|
रौशनी का इनसे ये साथ हैं अनमोल ,
इस कुदरत की सब बात है अनमोल ||

सुर्ख फूल हैं गुलशन की दौलत,
महके हैं फिजा इन्ही की बदौलत |
ज़मी को मिली यें सौगात हैं अनमोल,
इस कुदरत की सब बात है अनमोल ||

कंही पर्वतो के बीच से नदियाँ निकलती,
और जाके गहरें सागरों में मिलती |
ये प्रीत निराली, ये जज्बात हैं अनमोल,
इस कुदरत की सब बात है अनमोल ||

उड़ने के लिए गगन मे, पंछी को पर दिए,
रहने के लिए उनको पेड़ो में घर दिए|
चहचहाते इन परिंदों की मुलाकात हैं अनमोल,
इस कुदरत की सब बात है अनमोल||

इस कुदरत को उस खुदा ने रचा,
इसीलिए इसमे हर रंग है सजा|
इस तस्वीर को बनाते वो हाथ है अनमोल,
इस कुदरत की सब बात है अनमोल ||

©2009 दीप्ती