Tuesday, May 4, 2010

kavita

बहुत हसरते है दिल में, बहुत से है राज़, तुमसे कुछ नया, कुछ बीता कहूँ|
अपने कान नहीं दिल खोले रखना, चलो आज एक मेरी कविता कहूँ||

कुछ इन फूलो की, कुछ नदियों की और कुछ, बीती हुई सदियों की|
मेरे शब्दों की सरिता कहूँ, चलो आज एक मेरी कविता कहूँ||

कुछ प्यारे लम्हों की, कुछ गम के नगमो की, कुछ ऊँची कुछ नीची|
मेरे जीवन की कलिका कहूँ, चलो आज एक मेरी कविता कहूँ||

कुछ देवो की कुछ दानव की कुछ मनु और मानव की|
मेरी ओर की समिधा कहूँ, चलो आज एक मेरी कविता कहूँ||

©२००९ दीप्ती

3 comments:

  1. yaar kahan se laati ho.. amazing feelings nad words n expressions..

    ReplyDelete
  2. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete