Tuesday, November 24, 2009

dil se

ज़िन्दगी को करीब से देख कर अच्छा लगता है,
आप का हर एक लफ्ज़ सच्चा लगता है
कर चुके है तय सफ़र बहुत कुछ मगर
ये दिल हमे आज भी बच्चा लगता है|

रोज होते है रूबरू नयी कश-म-कश से हम
है तजुर्बा वो भी हमे कच्चा लगता है |

रात हो चली हो राह में फिर भी मगर,
ये आपका साया भी धूप सा लगता है|

है शिकायत कि बाटते नहीं गम हम कभी
क्या करे रोना भी हमे न अच्छा लगता है|

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