Wednesday, September 16, 2009

यूँही

ज़िन्दगी के इस मोड़ पर अब दास्ताँ क्या कहे
ये मंज़र देख कर हम हो गए बेजुबान, क्या कहे
कभी बातो से कभी खामोशी से आप समझ गए होंगे
चुप रहे यु ही हमेशा कि बेवजह, क्या कहे

तसव्वुर में आपके यु खोये रहते थे हम
कब शाम सा होता था, आसमान क्या कहे

ज़िन्दगी के आखिरी पल तक आपका साथ हो
मेरे खुदा अब तुमसे हम, और दुआ क्या कहे

अपनी चाहत पर भरोसा और दिल में प्यार रखना
सदा खुश रहने का अब, फलसफा क्या कहे

दीप्ती©2009

1 comment:

  1. अपनी चाहत पर भरोसा और दिल में प्यार रखना
    सदा खुश रहने का अब, फलसफा क्या कहे ...।
    आभार ।

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