बहुत हसरते है दिल में, बहुत से है राज़, तुमसे कुछ नया, कुछ बीता कहूँ|
अपने कान नहीं दिल खोले रखना, चलो आज एक मेरी कविता कहूँ||
कुछ इन फूलो की, कुछ नदियों की और कुछ, बीती हुई सदियों की|
मेरे शब्दों की सरिता कहूँ, चलो आज एक मेरी कविता कहूँ||
कुछ प्यारे लम्हों की, कुछ गम के नगमो की, कुछ ऊँची कुछ नीची|
मेरे जीवन की कलिका कहूँ, चलो आज एक मेरी कविता कहूँ||
कुछ देवो की कुछ दानव की कुछ मनु और मानव की|
मेरी ओर की समिधा कहूँ, चलो आज एक मेरी कविता कहूँ||
©२००९ दीप्ती
Tuesday, May 4, 2010
Tuesday, March 30, 2010
zindagi
देखो अब क्या गुल खिलाती है ज़िन्दगी,
जाने अब कौनसा रंग लती है ज़िन्दगी|
जब जब हम रूठ के जाने लगते है,
तब तब हमे मना लती है ज़िन्दगी||
कभी गैरो में अपनों से, कभी अपनों में गैरो से,
ऐसे लोगो से पहचान कराती है ज़िन्दगी |
कभी गम की एक बूँद भी रहने नहीं देती,
फिर देकर नयी ख़ुशी हंसाती है ज़िन्दगी|
उस खुदा के दर पे हम शुक्रिया करते है,
जिसने हमे ये नवाजी है ज़िन्दगी|
जब हम में ही चलने का हौसला न हो,
तब खुद ये ही रुक जाती है ज़िन्दगी|
दीप्ती©2009
Saturday, January 2, 2010
zindagi
एक पल में यु कैसे बदल जाती है ज़िन्दगी
गिरती है रूकती है और संभल जाती है ज़िन्दगी
नए साल के आने की कितने ख़ुशी मानते है हम
पर सोचो तो यु पल पल जाती है ज़िन्दगी
कोई बात नहीं कल आयेगा फिर हमारा
इतने में ही बेचारी बहल जाती है ज़िन्दगी
रुकने का नाम नहीं है ज़िन्दगी सुन ले
और ये सुनते ही फिर चल जाती है ज़िन्दगी
ख्वाब से कितने बुनते रह जाते है हम
और ये हाथ से निकल जाती है ज़िन्दगी
©२०१०दीप्ती
Subscribe to:
Posts (Atom)