Friday, July 17, 2009

नमस्कार दोस्तों बहुत दिनों बाद आज एक नयी कविता पोस्ट कर रही हु जी मुझे मेरे पुराने नोट्स खोजते हुए मिली है

ज़िन्दगी के कितने रास्ते वीराने होते है
जहाँ भी देखो वहां सिर्फ बेगाने होते है
गम तो ये है की बनके, दोस्त वो आते है
कमबख्त बेवफा भी, वफ़ा के बहाने होते है

हर रोज़ डूबी होती है शराब में कितनी ही जिंदगियां,
जाने कितने टूटे हुए साकी, तेरे पैमाने होते है

बस नाम ही सुनते है हीर राँझा ओ शिरी फरहाद,
ऐसी मिसालों को देखे, अब ज़माने होते है

सदा लेने का ही नाम तो ज़िन्दगी नहीं यारो,
कितने है क़र्ज़ हमपे, जो हमे चुकाने होते है
©2009 दीप्ती

2 comments:

  1. oye.. yaar tussi to dl khush kar ditta.... sorry yaar kafi late padi... but again its lovely and lively like u

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  2. दीप्ती,
    बहुच अच्छी और मधुर रचना है...

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