मेरे प्रिय ब्लॉग मित्रो बहुत व्यस्तता के चलते आजकल मैं ब्लोग कम लिख पा रही हूँ मैंने अपने कॉलेज दिनों में अपने लिए, अपने अपनों के लिए और अपनों की तरफ से उनके अपनों के लिए बहुत कुछ लिखा था आज उसी संग्रह में से कुछ लिख रही हूँ
हम इन्तेज़ार करते रहे तेरे लफ्जो का
तुम आखिरी पल तक खामोश नज़र आए
मुझे दामन में सिर्फ कांटे ही मिले
यूँ तो फूल के मौसम हर बरस आए
कोशिशो में वक़्त जाया किया मैंने
ये दर्द-ए-ख्याल हर पहर आए
रोज़ करते रहे सजदा खुदा के सामने
कभी तो मेरे अश्को पे उसे तरस आये
हम तूफानों से लड़ते रहे सदा
तेरे जाने के बाद ये दिल-ए-कहर आए
कितना हमने तुम्हे बताना चाहा
मजाल है कोई तुमपे असर आये
©२००९ दीप्ती
OOOpppsss!!! U r simply awesome... how do u mange to write something so amzing...yaar thanxx that u made this blog... by the way do u ever hav time to knw howz ur ashu??
ReplyDelete