Thursday, July 2, 2009

संग्रह

मेरे प्रिय ब्लॉग मित्रो अभी कुछ दिनों तक मैं अपने संग्रह की कुछ प्रिय प्रतियाँ ही पोस्ट करती रहूंगी आशा है आप सभी को पसंद आएँगी

कितने चेहरे है आसपास मेरे, रोज़ आते है निकल जाते है
तुम ही आँखों में मेरी रहते हो, हम कंहा उनको देख पाते है

अब तो लगता है की तेरे बिना, ना जीना होगा मेरा कहीं
नींद नहीं आती है रातो को, और आती है तो ख्वाब तेरे आते है

रुसवा रहती हूँ मैं खुदा से, दिल मुझको मनाया करता है
एसी भी क्या तकदीर मेरी, क्यों तुमसे नहीं मिल पाते है

जाने किसका साथ लिखा है, खुदा ने मुकद्दर में मेरे
जब सोचे इस बारे में, तो ख्याल तेरे ही आते है
©२००९ दीप्ती

2 comments:

  1. waah waah ....sahi hai par yeh itni dard bhari kavita kisk liye?? :)

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  2. it was of time when i was not with my love

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