Thursday, September 3, 2009

नीर नारी

एक और कविता आज पोस्ट कर रही हूँ , खुदा की दो बहुत ही खास रचना की तुलना करने की कोशिश की है आशा है आपको पसंद आयेगी

नीर नारी
तुझ बिन जीवन का अंश नहीं
तुझ बिन मानुष का वंश नहीं
सारा जग तेरा आभारी
तू नीर है तू नारी

राह मे आये चाहे जितने भी रोडे
तू अपने साहस से हर मुश्किल को तोडे
शक्ति तुझमे है सारी
तू नीर है तू नारी

तुझमे सब मिल जाते है
तृप्त सब तुजसे हो जाते है
हो सम्मान के अधिकारी
तू नीर है तू नारी

तुम अविरल बहते रहते हो
तुम धैर्य बांधे रहते हो
हर तरह तुम अविकारी
तू नीर है तू नारी

दीप्ती©2009

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