Thursday, September 10, 2009

नई रचना

आज एक बिल्कुल ताजी रचना यहाँ पोस्ट कर रही हु जो इसी वक्त ब्लॉग पर लिख रही हु आशा कीजिये अच्छी हो

एक तमन्ना है इन पंछियों से बात करने की
एक आरजू है इस जीवन में तितलियों के रंग भरने की
ख्वाब है की हमको भी पंख लग जाए
एक जुस्तजू है इस असमान को पार करने की

कभी इस चाँद से कभी सितारों से जलते है हम
एक गुजारिश है कुछ जिंदगियों में रौशनी करने की

चाहत है इन नदियों का रुख मोड़ दे हम कभी
एक कसक है सूखे दरख्त को तर करने की

ऐ बादल न तरसाया कर उन आँखों को युही
एक दुआ है तेरे बस झूम कर बरसने की

ऐ खुदा कुछ सवाल दिमाग में है अजीब से
एक इछा है तुमसे बाते दो चार करने की

दीप्ती©2009

1 comment:

  1. चाहत है इन नदियों का रुख मोड़ दे हम कभी
    एक कसक है सूखे दरख्त को तर करने की

    बहुत बहुत सुंदर ख्याल है

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