आज एक बिल्कुल ताजी रचना यहाँ पोस्ट कर रही हु जो इसी वक्त ब्लॉग पर लिख रही हु आशा कीजिये अच्छी हो
एक तमन्ना है इन पंछियों से बात करने की
एक आरजू है इस जीवन में तितलियों के रंग भरने की
ख्वाब है की हमको भी पंख लग जाए
एक जुस्तजू है इस असमान को पार करने की
कभी इस चाँद से कभी सितारों से जलते है हम
एक गुजारिश है कुछ जिंदगियों में रौशनी करने की
चाहत है इन नदियों का रुख मोड़ दे हम कभी
एक कसक है सूखे दरख्त को तर करने की
ऐ बादल न तरसाया कर उन आँखों को युही
एक दुआ है तेरे बस झूम कर बरसने की
ऐ खुदा कुछ सवाल दिमाग में है अजीब से
एक इछा है तुमसे बाते दो चार करने की
दीप्ती©2009
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चाहत है इन नदियों का रुख मोड़ दे हम कभी
ReplyDeleteएक कसक है सूखे दरख्त को तर करने की
बहुत बहुत सुंदर ख्याल है