Monday, June 15, 2009

मोहब्बत

प्रिया मित्रो
कैसे है आप सब? जब आप सब लोगो की कमेंट्स देखती हु तो बहुत अच्छा लगता है की आप लोग ब्लॉग पढ़ रहे है। आज इसी क्रम में प्रस्तुत है एक कविता मोहब्बत पर:

खामोश निगाहों से कैसे, बाते कर ली जाती है
चेहरे से कैसे दिल की, हालत पढ़ ली जाती है
सारे सपने लेकर अपनी, दोनों आँखों में भर लो,
हाँ तुम भी जान जाओगे एक बार मोहब्बत कर लो

भूख तो लगती नहीं, नींदे भी उड़ जाती है
ठंडी फिजायें मनो, दिल में कुछ कर जाती है
बंद करके पलके, उसको बाहों में भर लो
हाँ तुम भी जान जाओगे एक बार मोहब्बत कर लो

दिन कही कटते नहीं, सूनी राते हो जाती है
आँखों में नमी सी, जब तब आती जाती है
अपने दोनों हाथो को, उसके हाथो में धर लो
हाँ तुम भी जान जाओगे एक बार मोहब्बत कर लो

बिना किसी काम के, सबसे मसरूफ है रहते
कुछ सुनाई देता नहीं, जाने किस दुनिया में रहते
दिल की बात कभी तुम, अपनी जुबां से कर लो
हाँ तुम भी जान जाओगे एक बार मोहब्बत कर लो

©2009 दीप्ती

2 comments:

  1. Wow Dipti,
    cool!
    A really romantic kavita...
    हाँ तुम भी जान जाओगे एक बार मोहब्बत कर लो...

    Carry on...

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  2. Anonymous17/6/09

    really nice !!!

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